Saturday, 7 January 2017

संदर्भ -अध्याय - 2

संदर्भ -
1. मुहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी) भाग 2, पृ. 289
राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर - 1969
2. वही, भाग 2, पृ.  290
3. विजयेन्द्र कुमार माथुर, ऐतिहासिक स्थानावली, पृ. 570
राजस्थान हिन्दी गं्रथ अकादमी, जयपुर - 1990, इसमें पोकरण को पोकरण कहा गया है। महाभारत का श्लोक-समा. 32, 8-9  ‘‘पुनश्च परिव्रत्याथ पुष्करारण्य वासिनः गुणानुत्स वसंकेतान् व्यजयत् पुरूषर्षभ।’’ इस स्थान पर पुष्करारण्य का उल्लेख माध्यमिका व चिŸाौड़ के पश्चात् होने से इसकी स्थिति मारवाड़ में सिद्ध हो पाती है।
4. गोविन्दलाल श्रीमाली, राजस्थान के अभिलेख, भाग-1, पृ. 59, 60, महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश, जोधपुर 2000य शोध पत्रिका, वर्ष, 22 अंक 2,       पृ. 67 से 69
5. सुमेर लाइब्रेरी सरदार म्यूजियम रिपोर्ट, 1931, पृ. 8, आइ. ए. 40, पृ. 176, गोविन्दलाल श्रीमाली, पूर्वोक्त, भाग 1, पृ 59
6. गोविन्दलाल श्रीमाली, पूर्वोक्त, पृ. 59,60 भाग प्रथम .के अनुसार, 1024, 25 ई. में महमूद गजनवी मुल्तान लोद्रवा मार्ग से सोमनाथ गया था। उसके 10-12 वर्ष पूर्व उसके या गजनवी के किसी अन्य शासक के सिपाहियों य सिंध के मुस्लिम शासक से यह युद्ध हुआ होगा।
7. डाॅ. हुकुमसिंह भाटी, भाटी वंश का गौरवमय इतिहास, जैसलमेर भाग 1, पृ. 43, इतिहास अनुसंधान संस्थान, चैपासनी जोधपुर - 2003
8. मुहता नैणसी री ख्यात, (सं. बदरी प्रसाद साकरिया) भाग 2. पृ. 18, 19य राजस्थान प्राच्य प्रतिष्ठान जोधपुर-1962य  जैसलमेर री ख्यात (सं. डाॅ. नारायण सिंह भाटी) पृ. 37, राजस्थानी शोध संस्थान जोधपुर, 1981
9. डाॅ. मांगीलाल व्यास, जैसलमेर राज्य का इतिहास, पृ. 22, देवनागर प्रकाशन, चैडा रास्ता, जयपुर - 1984
10. डाॅ. हुकुमसिंह, भाटी वंश का गौरवमय इतिहास, जैसलमेर, भाग प्रथम, पृ. 42
11. जैसलमेर री ख्यात, (सं.डाॅ नारायणसिंह भाटी) पृ. 38, मुहता नैणसी री ख्यात, (सं. डाॅ. बदरी प्रसाद साकरिया), भाग द्वितीय, पृ. 19, 20य मांगीलाल व्यास, जैसलमेर राज्य का इतिहास पृ. 22,23
12. मुहता नैणसी री ख्यात (स. डाॅ. बदरी प्रसाद साकरिया),, भाग द्वितीय, पृ. 25, 26
13. वही, पृ. 25य डाॅ. हुकुमसिंह, भाटी वंश का गौरवमय इतिहास, भाग प्रथम,    पृ. 49
14. मुहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत वात पोकरण परगना री (सं. डाॅ नारायणसिंह भाटी) भाग द्वितीय, पृ. 290
15. गोविन्दलाल श्रीमाली, पूर्वोक्त, पृ. 59, 60
16. डाॅ. हुकुमसिंह, भाटी वंश का गौरवमय इतिहास, जैसलमेर पृ. 67
17. मुहता नैणसी, मारवाड़ परगना री विगत, (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी) भाग द्वितीय, पृ. 290
18. मुहता नैणसी, मारवाड़ परगना री विगत, (सं. डाॅ. नारायण सिंह भाटी) भाग द्वितीय, पृ. 290
19. डाॅ. हुकुमसिंह, भाटी वंश का गौरवमय इतिहास, जैसलमेर, भाग द्वितीय, पृ. 115
20. मुहता नैणसी, मारवाड़ परगना री विगत, (सं डाॅ. नारायणसिंह भाटी) भाग द्वितीय, पृ. 291
21. निदेशालय सूचना एवं जनसम्पर्क राजस्थान, जयपुर द्वारा प्रकाशित पेम्फलेट ‘‘सामजिक सद्भाव के प्रणेता, बाबा रामदेव’’
22. मुहता नैणसी, मारवाड़ परगना री विगत, (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी) , भाग द्वितीय, पृ. 292य जोधपुर राज्य री ख्यात (सं. रघुवीरसिंह, मनोहरसिंह) पृ. 71, भारतीय इतिहास अनु. परिषद्, नई दिल्ली एवं पंचशील प्रकाशन, जयपुर-1988
23. वि.ना. रेऊ, मारवाड़ राज्य का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 108, महाराज मानसिंह पुस्तक, प्रकाश जोधपुर - 1999
24. वि. ना. रेऊ, मारवाड़ का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 86
25. वही, पृ. 104
26. जोधपुर राज्य की ख्यात (सं. रघुवीर सिंह, मनोहरसिंह) पृ. 71
27. मुहता नैणसी री ख्यात, (सं. बदरी प्रसाद सांकरिया) भाग प्रथम,            पृ. 103    से 114
28. गौ.ही. ओझा, जोधपुर राज्य का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 267, व्यास एण्ड सन्स, अजमेर, वि.सं. 1998
29. वि.ना. रेऊ, मारवाड़ का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 105, पाद् टिप्पणी
30. वही, भाग प्रथम पृ. 106, पाद् टिप्पणी
31. कर्नल टाॅड, ऐनाल्स एण्ड ऐंटिक्विटीज आॅफ राजस्थान, भाग 2, पृ. 952 में नरा को सूजा का पौत्र और वीरमदेव का पुत्र लिखा है जो त्रुटिपूर्ण है ।
32. जोधपुर राज्य की ख्यात (सं. रघुवीरसिंह, मनोहर सिंह), पृ. 71य गौ.ही. ओझा, जोधपुर राज्य का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 264
33. वि.ना. रेऊ, मारवाड़ का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 105, पाद् टिप्पणी
34. मुहता नैणसी, मारवाड़ परगना री विगत, (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी)  भाग द्वितीय, पृ. 292 में वर्णित है कि पोकरणों ने नीलवै और थटोहण में काफी उत्पात मचाया तथा पोकरण शहर की सीमा तक अधिकार कर लियाय जोधपुर राज्य री ख्यात (सं. रघुवीर सिंह, मनोहर सिंह) पृ. 71
35. मुहता नैणसी, मारवाड़ परगना री विगत, (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी) भाग द्वितीय, पृ. 292 के अनुसार नानणयाई तालाब के समीप यह युद्ध हुआ। जो पोकरण से पांच कोस की दूरी पर था।
36. जोधपुर राज्य की ख्यात (सं. रघुवीर सिंह, मनोहर सिंह) पृ. 71
37. मारवाड़ परगना री विगत, (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी) भाग द्वितीय, पृ. 293
38. वही, पृ. 293
39. वही, पृ. 292
40. जोधपुर राज्य की ख्यात, (सं. रघुवीरसिंह, मनोहरसिंह) पृ. 71
41. मुंहता नैणसी री ख्यात, (सं. बदरी प्रसाद सांकरिया), भाग द्वितीय, पृ. 25, 26
42. मुहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत, (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी) भाग द्वितीय, पृ. 292
43. महकमां तवारीख री मिलसां, क्र.सं. 126, ग्र. 15662 राजस्थान प्राच्य संस्थान, जोधपुर
44. वि. ना. रेऊ, मारवाड़़ का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 108
45. मुहता नैणसी री ख्यात, (सं. बदरी प्रसाद सांकरिया), भाग द्वितीय, पृ. 104
46. मुहता नैणसी, मारवाड़ परगना री विगत, भाग द्वितीय, पृ. 292
47. जोधपुर राज्य की ख्यात, (सं. रघुवीर सिंह, मनोहर सिंह), पृ. 71
48. मुहता नैणसी री ख्यात, (सं. सांकरिया), भाग द्वितीय, पृ. 114
49. गौ.ही. ओझा, जोधपुर राज्य का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 267
50. वि.ना. रेऊ, मारवाड़़ का इतिहास, भाग प्रथम पृ. 108
51. मंुहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी) भाग द्वितीय, पृ. 292, 293
52. मुहता नैणसी री ख्यात (सं. बदरी प्रसाद सांकरिया), भाग द्वितीय, पृ. 113
53. वि.ना. रेऊ, मारवाड़ का इतिहास, भाग प्रथम, पृ 108
54. मुंहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी) भाग द्वितीय, पृ. 292, 293, रेऊ ने इसे 1498 ई. (वि.सं. 1555) माना है जो उचित प्रतीत नहीं होती है
55. वही, पृ. 293
56. मुहता नैणसी री ख्यात (सं. बदरी प्रसाद सांकरिया), भाग द्वितीय, पृ. 113य गौ. ही. ओझा, जोधपुर राज्य का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 311
57. मुहता नैणसी, मारवाड़ परगना री विगत, भाग द्वितीय, पृ. 293, 294य डाॅ. मांगीलाल व्यास ‘मयंक’ जैसलमेर राज्य का इतिहास पृ. 91, 92य डाॅ. हुकुमसिंह, भाटी वंश का गौरवमय इतिहास, जैसलमेर, भाग प्रथम, पृ. 154य डाॅ. नन्दकिशोर शर्मा, युग युगीन वल्लप्रदेश, जैसलमेर का इतिहास, पृ. 161, सीमान्त प्रकाशन जैसलमेर 1993
58. जोधपुर राज्य की ख्यात (सं. रघुवीरसिंह, मनोहरसिंह), पृ. 89 वि.ना. रेऊ, मारवाड़ का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 133
59. प. वि.ना.. रेऊ, मारवाड़़ का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 113, 60.    डाॅ. मांगीलाल व्यास ‘मयंक’, जैसलमेर राज्य का इतिहास, पृ. 92
61. मुहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत, भाग द्वितीय, पृ. 294य   डाॅ. नन्दकिशोर शर्मा, युग युगीन वल्लप्रदेश जैसलमेर का इतिहास,  पृ. 161य वि.ना. रेऊ, मारवाड़ का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 113,  में 1000 ऊँट पकडे जाने का लिखा है।
62. डाॅ. मांगीलाल व्यास, ‘मयंक’, जैसलमेर राज्य का इतिहास, पृ. 149,  150
63. डाॅ. हुकुमसिंह, भाटी वंश का गौरवमय इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 154
64. महकमां तवारीख जोधपुर री मिलसां रो ब्योरो, क्र.सं. 543, ग्र. 15662 में वर्णित है कि ‘‘मालदेव ने नरवतों से पोकरण छीनी तथा सातलमेर के अवशेषों से कोट करवाया’’। डाॅ. मांगीलाल व्यास मयंक, जोधपुर राज्य का इतिहास, पृ. 149
65. जोधपुर राज्य की ख्यात (सं. रघुवीर सिंह, मनोहर सिंह) पृ. 107
66. मुहता नैणसी, मारवाड़ परगना री विगत (डाॅ. नारायण सिंह भाटी) भाग द्वितीय, पृ. 294
67. वही, भाग द्वितीय, पृ. 295
68. डाॅ. मांगीलाल व्यास ‘मयंक’, जैसलमेर राज्य का इतिहास, पृ. 99
69. मुहता नैणसी, मारवाड़ परगना री विगत, (डाॅ. नारायण सिंह भाटी) भाग द्वितीय, पृ. 295य नन्दकिशोर शर्मा, युग युगीन वल्लप्रदेश जैसलमेर का इतिहास, पृ. 164
70. मुहता नैणसी, मारवाड़ परगना री विगत (डाॅ. नारायण सिंह भाटी), भाग द्वितीय, पृ. 296
71. डाॅ. हुकुमसिंह, भाटी वंश का गौरवमय इतिहास, पृ. 167य डाॅ. मांगीलाल व्यास ‘मयंक’, जैसलमेर राज्य का इतिहास, पृ. 100
72. मुहता नैणसी, मारवाड़ परगना री विगत (डाॅ. नारायण सिंह भाटी), भाग द्वितीय, पृ. 295
73. राव चन्द्रसेन की ख्यात, भाग तृतीय, पृ. 408, ग्र, सं. 1632, प्राच्य संस्थान जोधपुर ने 8000 सैनिक अंकित हैय जोधपुर राज्य की ख्यात, (सं. डाॅ. नारायण सिंह भाटी) पृ. 109 में 7000 सैनिक अंकित है जबकि मारवाड़़ परगना री विगत भाग द्वितीय पृ. 295 में मात्र 600-700 योद्धा अंकित है; राव चन्द्रसेन की ख्यात में वर्णित संख्या अधिक उचित प्रतीत होती है।
74. राव चन्द्रसेन की ख्यात, भाग तृतीय, पृ. 408, ग्रं. सं. 1632
75. जोधपुर राज्य की ख्यात (सं. रघुवीर सिंह, मनोहर सिंह), पृ. 109
76. मंुहता नैणसी, मारवाड़ परगना री विगत (डाॅ. नारायण सिंह भाटी),  भाग द्वितीय, पृ. 295य राव चन्द्रसेन री ख्यात, पृ. संख्या 408,  जोधपुर राज्य की ख्यात (सं. रघुवीर सिंह, मनोहर सिंह), पृ. 109
77. डाॅ. मांगीलाल व्यास ‘मयंक’, जैसलमेर राज्य का इतिहास, पृ. 100
78. तवारीख जैसलमेर (सं. मेहता नथमल), पृ. 54 पर वर्णित है कि पोकरण गढ़ 10 हजार सोनइयों के बदले गिरवी रखा गया। प. वि.ना.रेऊ. मारवाड़ का इतिहास, भाग प्रथम, 218 में एक लाख फदिये 12,500 रूपए के बराबर बताए गए है।
79. राव चन्द्रसेन की ख्यात, भाग तृतीय, पृ.  408-409 मंुहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत, (डाॅ. नारायण सिंह भाटी)  भाग द्वितीय, पृ. 296
80. राव चन्द्रसेन की ख्यात, भाग तृतीय, पृ. 410 में मात्र 30,000 फदिये दिए जाने का उल्लेख है, जोधपुर राज्य ख्यात (सं. रघुवीर सिंह, मनोहर सिंह) पृ. 109 रात्रि के  तीन बजे पोकरण गढ़ सुपुर्द किया गया।
81. मुहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत, (डाॅ. नारायण सिंह भाटी)   भाग द्वितीय, पृ. 247
82. जोधपुर राज्य की ख्यात, (सं. रघुवीर सिंह, मनोहर सिंह) पृ. 132, मारवाड़ परगना री विगत में नैणसी ने इसे सूरजसिंह लिखा है, भाग द्वितीय, पृ. 297-298
83. मुहता नैणसी री ख्यात, (सं. बदरी प्रसाद साकरिया) भाग द्वितीय, पृ. 99, 100
84. डाॅ. मांगीलाल व्यास ‘मयंक’, जैसलमेर राज्य का इतिहास पृ. 106, इन्होंने कोढ़णा के स्थान पर कोटड़ा लिखा है जो त्रुटिपूर्ण कोटड़ा में कोटड़िया राठौड़ है जबकि कोढ़णा में ऊहड राठौड़ हैं।
85. डाॅ. हुकुमसिंह, भाटी वंश का गौरवमय इतिहास, भाग 1, पृ. 177
86. मुहता नैणसी सी ख्यात, भाग द्वितीय, पृ. 101, जोधपुर राज्य की ख्यात (सं. रघुवीर सिंह, मनोहर सिंह) पृ. सं. 153
87. मुहता नैणसी सी ख्यात (सं. बदरी प्रसाद साकरिया), भाग द्वितीय, पृ. 104
88. मुहता नैणसी,  मारवाड़ परगना री विगत, भाग द्वितीय, पृ. 298, सं. 1706 मिंगसर वद बताया गया है। जबकि वि.ना. रेऊ ने सं. 1706 कार्तिक मास, मारवाड़़ का इतिहास, भाग-प्रथम (पृ. 217) एवं जोधपुर राज्य की ख्यात, पृ.-212, में सं. 1707 रा काती सुद 15 मंगलवार, अक्टूबर 29, 1650 ई. वर्णित है। नैणसी द्वारा बताई गई तारीख अधिक उचित प्रतीत होती है
89. डाॅ. हुकुमसिंह, भाटी वंश का गौरवमय इतिहास, भाग 1, पृ. 104
90. मुहता नैणसी री ख्यात (सं. बदरी प्रसाद साकरिया) भाग 3, पृ. 217 के अनुसार सबल सिंह की बहन का विवाह किशनगढ़ हुआ था तथा राजा रूपसिंह उसका भांजा था।
91. मंुहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत (डाॅ. नारायण सिंह भाटी), भाग द्वितीय, पृ. 298 में 6 लाख दाम वर्णित है जबकि जोधपुर राज्य की ख्यात (सं.रघुवीर सिंह, मनोहर सिंह) पृ. 204 पद्टिप्पणी में रूपए 14000 तथा पृ. 206 में 8 लाख वर्णित है। महाराज सूरसिंह के समय 5,60,000 दाम एवं 14000 रूपए वर्णित है। अतः महाराजा जसवंत सिंह के समय यह 8 लाख की जगह 6 लाख दाम होने चाहिए।
92. मुहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत, (डाॅ. नारायण सिंह भाटी) भाग द्वितीय, पृ. 298
93. जोधपुर राज्य की ख्यात (सं. रघुवीर सिंह, मनोहर सिंह) पृ. 268 में महाराजा जसवंतसिंह की रानियों की सूची में मनभावती का वर्णन नहीं है। अवश्य ही यह महारावल मनोहरदास की पुत्री भटियाणी जसरूपदे थी। मिगसर वद 2 में पिता की मृत्यु के बाद उसने शाहजहां को पत्र लिखा। 10 अप्रैल 1650 ई. में रानी की भी मृत्यु के बाद उसका इच्छा पूर्ण करने के लिए महाराजा ने शीघ्र ही पोकरण अभियान करने का मन बनाया ।
94. मंुहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत (डाॅ. नारायणसिंह भाटी) भाग द्वितीय, पृ. 298
95. वही, पृ. 298, 299य मांगीलाल व्यास ‘मयंक’, जैसलमेर राज्य का इतिहास, पृ. 112,
96. जोधपुर राज्य की ख्यात (सं. रघुवीर सिंह, मनोहर सिंह) पृ. 212
97. डाॅ. हुकुमसिंह, भाटी वंश का गौरवमय इतिहास, भाग प्रथम पृ. 196
98. युगपुरुष महाराज जसवंतसिंह प्रथम (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी), पृ. 8, राजस्थानी शोध संस्थान, चैपासनी, जोधपुर
99. प.वि.ना. रेऊ, मारवाड़ का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 217
100. मुहता नैणसी, मारवाड़ परगना री विगत,भाग द्वितीय, पृ. 30य मुहता नैैणसी री ख्यात, भाग 1, पृ. 105
101. वही,पृ. 300य डाॅ. मांगीलाल व्यास, जैसलमेर राज्य का इतिहास,  पृ. 115
102. जोधपुर राज्य री ख्यात (सं. रघुवीरसिंह, मनोहरसिंह) पृ. 212, मुहता नैणसी री ख्यात भाग 2, पृ. 115
103. मुहता नैणसी, मारवाड़ परगना री विगत, भाग द्वितीय, पृ. 300, मुहता नैणसी री ख्यात भाग 2, पृ. 300 से 303य नन्दकिशोर शर्मा,  युग युगीन वल्लप्रदेश जैसलमेर का इतिहास, पृ. 177
104. वही, भाग द्वितीय, पृ. 303, 304
105. वही, भाग द्वितीय-पृ. 304
106. वही, भाग 2, पृ. 305य जोधपुर राज्य री ख्यात (सं. रघुवीर सिंह, मनोहर सिंह) पृ. 213,
107. मुहता नैणसी री ख्यात, भाग 2, पृ. 308य युगपुरुष महाराज जसवंतसिंह प्रथम, पृ. 9
108. जैसलमेर री ख्यात, (सं. डाॅ. नारायण सिंह भाटी), पृ. 59य तवारीख जैसलमेर, (सं.नथमल मेहता), पृ. 58, 59
109. युगपुरुष महाराज जसवंतसिंह प्रथम (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी) पृ. 9
110. वही, पृ.  24
111. मुहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत, भाग द्वितीय, पृ. 306
112. वि.ना. रेऊ, मारवाड़़ का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 220
113. जोधपुर हुकुमत री बही, मारवाड़ अण्डर जसवन्तसिंह, (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी) पृ. 34, 253 मीनाक्षी प्रकाशन, मेरठ, 1976
114. मुहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत भाग प्रथम, पृ. 137, 138
115. जोधपुर हुकुमत री बही (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी), पृ. 40
116. मुहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत भाग प्रथम, पृ. 138य जोधपुर राज्य री ख्यात, (सं. रघुवीरसिंह, मनोहरसिंह), पृ. 260 के अनुसार रावल सबलसिंह ने पोकरण के 18 गांव विजित किए। वि.ना.रेऊ, मारवाड़़ का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 231 में वर्णित है कि मारवाड़ की सेना के पहुंचने तक पोकरण पर भाटियों ने अधिकार कर लिया।
117. जोधपुर हुकुमत री बही (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी), पृ. 40 से 42
118. डाॅ. हुकुसिंह, भाटी वंश का गौरवमय इतिहास, भाग प्रथम पृ. 206
119. जोधपुर हुकुमत री बही, (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी), पृ. 42
120. वि.ना.रेऊ. मारवाड़़़़ का इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 231
121. मारवाड़़ परगना री विगत (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी), भाग प्रथम, पृ. 140 से 142
122. जोधपुर हुकुमत री बही (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी), पृ. 43
123. वही, पृ. 44
124. वही, पृ. 48य मुहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी), भाग प्रथम, पृ.  143, 144
125. जोधपुर हुकुमत री बही (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी),  पृ. 49, 50, 255य मुहता नैणसी, मारवाड़़़ परगना री विगत (सं. डाॅ. नारायण सिंह भाटी), भाग प्रथम, पृ. 143, 144य. वि.ना. रेऊ मारवाड़़ का इतिहास,  भाग प्रथम पृ. 231
126. मुहता नैणसी, मारवाड़़ परगना री विगत (सं. डाॅ. नारायणसिंह भाटी), भाग द्वितीय, पृ. 356, 357
127. जोधपुर राज्य की ख्यात (सं. रघुवीरसिंह, मनोहर सिंह),  पृ. 297
128. तवारीख जैसलमेर (सं नथमल मेहता), पृ. 62य डाॅ. हुकुमसिंह भाटी वंश का गोरवपूर्ण इतिहास, भाग प्रथम, पृ. 212
129. वही, पृ. 221, जोधपुर राज्य की ख्यात, (सं. रघुवीरसिंह, मनोहरसिंह),  पृ. 429
130. डाॅ. नारायणसिंह भाटी, राजस्थानी ऐतिहासिक गं्रथों का सर्वेक्षण भाग तृतीय, पृ. 180, 181
131. जोधपुर राज्य की ख्यात (सं. रघुवीरसिंह, मनोहरसिंह), पृ. 401 व 405


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