शोध ग्रंथ सूची
1. मुंहता नैणसी-मारवाड़ परगना री विगत, भाग - 2
2. प. विश्वेश्वर नाथ रेऊ - प्रोविन्शियल गजीटीयर्स ऑफ राजपूताना, पृ. 204-205
3. पोकरण- तहसील रिकॉर्ड - 2001
4. पोकरण तहसील रिकॉर्ड - 2001
5. रेऊ प्रोविन्शियल गजीटीयर्स ऑफ राजपूताना पृ. 204-05
6़. मुंशी हरदयाल तवारीख राज जागीरदारां, पृ. 76, जोधपुर स्टेट प्रेस-1893
7. पी.आर.शाह राज मारवाड़, ड्यूरिंग ब्रिटिश पैरामाउण्टेसी, पृ - 161, फुटनोट, शारदा पब्लिशिंग हाऊस, जोधपुर
रेऊ - प्रोविन्शियल गजीटीयर्स ऑफ राजपूताना, पृ. 204-205
8.
9. राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर (रा.अ.अ.,बी.)
हकीकत रजिस्टरा नंबर 69, पृ.11, खास रुक्का परवाना बही नंबर 4-6
10. पूर्व मध्य काल में इसका लोकप्रिय नाम जागीर था।
11. डॉ. विक्रम सिंह भाटी : मध्यकालीन राजस्थान में ठिकाणा व्यवस्था, पृ. 11
12. डॉ. नारायण सिंह भाटी (संपादन), मुहता नैणसी री लिखी मारवाड रा परगना री विगत, भाग - 2, पृष्ठ 298
13. डॉ. हुकुमसिंह - राजस्थान के ठिकाणों व घरानो की पुरालेखीय सामग्री, पृष्ठ संख्या 28-29, राजस्थान शोध संस्था चौपासनी, 1995
14. डॉ. हुकुमसिंह (संपादन) - मज्झमिका - मेवाड, रावल राणाजी री बात, अंक 17, प्रताप शोध प्रतिष्ठान उदयपुर वर्ष 1993
15. डॉ. विक्रम सिंह भाटी : मध्यकालीन राजस्थान में ठिकाणा व्यवस्था, पृ. 13, 14, 15
16. मारवाड रा परगना री विगत, भाग द्वितीय, पृ. 290, पंवार पुरुखा की ठकुराई
17. राजस्थान राज्य अभिलेखागार, खास रुक्का परवाना बही नंबर 2,
आर.पी व्यास - रोल ऑफ नाविलिटी इन मारवाड, बीकानेर, पृष्ठ - 8, (भूमिका), जैन ब्रदर्स, नई दिल्ली-1969
18. डॉ. प्रेम ऐंग्रिस - मारवाड का सामाजिक एवं आर्थिक जीवन, पृ. 45 ऊषा पब्लिसिंग हाऊस, जोधपुर, जयपुर - 1987
19. डॉ. विक्रमसिंह - मध्यकालीन राजस्थान में ठिकाणा व्यवस्था पृ 21 से 24
20. राजस्थान भारती, भाग-1 में डॉ. आर.पी. व्यास द्वारा प्रस्तुत लेख - उŸार मध्यकाल में सामन्तवाद पृ. 174 । रा.रा.अ.बी - हकीकत बही नंबर 18, पृ. 409, हकीकत बही नंबर 44, पृ. 418
21. वहीं. पृष्ठ 174
22. पी. आर. शाह : राज मारवाड ड्यूरिंग ब्रिटिश पौरामाउण्टेसी, पृ-1, शारदा पब्लिशिंग हाऊस, जोधपुर 1982
23. पण्डित विश्वेश्वर नाथ रेऊ - मारवड का इतिहास भाग - 1, पृष्ठ 78, महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश, जोधपुर-1999
24. डॉ. निर्मला एम उपाध्याय - दी एडमिस्ट्रशन ऑफ जोधपुर स्टेट (1800-1947 ई) पृ. 7 इण्टरनेशनल पब्लिशर्स, जोधपुर - 1973
25. वहीं. पृष्ठ 7
26. डॉ. आर.पी व्यास - रोल ऑफ नॉबीलिटी इन मारवाड़, पृ.8 जैन ब्रदर्स, नई दिल्ली 1969
जैम्स टॉड - जोधपुर राज्य का इतिहास - पृ. 221 में वर्णित है ‘‘महाराज’’ हम लोग अनेक सम्प्रदायों से है पर भिन्न भिन्न देहदारी होकर भी हमारा मस्तक एक ही है यदि कोई दूसरा मस्तक होता है तो उसको अपने अधीन में अर्पण करते - यूनिक ट्रेडर्स, 250, चौडा रास्ता, जोधपुर-1998
27. वहीं. पृष्ठ 8
28. डॉ आर. पी. व्यास - मारवाड में सामंती प्रथा, परम्परा पृ. 79
29. जेम्स टॉड - एनल्स एण्ड एण्टिक्विटीज ऑफ राजस्थान - भाग 1, पृ. - 127
30. रघुवीर सिंह, मनोहर सिंह - जोधपुर राज्य की ख्यात पृ - 70, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली एवं पंचशील प्रकाशन, जयपुर -1988
31. वहीं. पृष्ठ 59
32. डॉ. आर.पी व्यास - रोल ऑफ नॉबीलिटी इन मारवाड़, पृ.9 मारवाड की ख्यात भाग-1, पृष्ठ 41-51
33. पी. आर. शाह : राज मारवाड ड्यूरिंग ब्रिटिश पौरामाउण्टेसी, पृ-4, शारदा पब्लिशिंग हाऊस, जोधपुर 1982
रेऊ : मारवाड का इतिहास भाग, द्वितीय - 1839, जुलाई 28 से ए.जी.जी. ने महाराजा मानसिंह के असन्तुष्ट सरदारों से अजमेर दरबार में पूछा कि यदि अंग्रेंज मारवाड पर चढाई करे तो सरदार किसका पक्ष लेंगे। तब ठाकुर ने स्पष्ट कहा कि युद्ध होने पर वे स्वामीधर्म को निबाहने के लिए महाराजा का साथ देंगे। पृ.-432
34. डॉ. निर्मला एम उपाध्याय - दी एडमिस्ट्रशन ऑफ जोधपुर स्टेट (1800-1947 ई) पृ. 154
प. वि. रेऊ, मारवाड का इतिहास-भाग-1, पृष्ठ 182
रा.रा.अ.बी. हकीकत बही नंबर 43, पृ 185, हकीकत बही नंबर 38, पृष्ठ 327
35. पी. आर. शाह : राज मारवाड ड्यूरिंग ब्रिटिश पौरामाउण्टेसी, पृ-4,
डॉ. आर.पी व्यास - रोल ऑफ नॉबीलिटी इन मारवाड़, पृ.11
36. इर्स्किन : राजपूताना गजीटीयर्स, भाग द्वितीय, अ, पृ-58
37. पण्डित वि. रेऊ : मारवाड का इतिहास - भाग द्वितीय पृष्ठ - 629
38. वहीं. भाग-1, पृ. 377
39. पोकरण के ठाकुर सवाई सिंह ने महाराज मानिंसं की जगह महाराजा भीमसिंह के पुत्र धोकलसिंह को जोधपुर की गद्दी दिलाने का प्रयास किया, पोकरण की तवारीख, पृष्ठ 86
40. जेम्स टॉड कृत जोधपुर राज्य का इतिहास, पृ-249, (अनु.वं.सं. बलदेव प्रसाद मिश्र व ज्वाला प्रसाद मिश्र व राय मुंशी देवी प्रसाद -यूनिक ट्रेडर्स, चौडा रास्ता, जयपुर)
41. रा.रा.डन.बी. खरीता बही नंबर 12, पृष्ठ 355, खरीता बही नंबर 14, पृ. 48
42. डॉ. निर्मला एन. उपाध्याय - दी एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ जोधपुर स्टेट पृ. 23
43. वही पृ. 24, रेऊ मारवाड का इतिहास भाग द्वितीय पृष्ठ 422
44. पं. वि. रेऊ मारवाड का इतिहास भाग द्वितीय पृष्ठ 421
45. वही. पृष्ठ 420 जेम्स टॉड, जोधपुर राज्य का इतिहास, पृष्ठ 272
46. गौरी शंकर ओझा-जोधपुर राज्य का इतिहास भाग द्वितीय पृष्ठ 832 व्यास एण्ड सन्स, अजमेर - 1995
47. रा.रा. अ.बी. हकीकत खाता बही नंबर 12, पृ. 219 खरीता बही नंबर 12 पृष्ठ 346-347
48. रा.रा.अ.बी. हकीकत बही नंबर 13, पृष्ठ-13 व 207
49. रेऊ : मारवाड का इतिहास भाग द्वितीय पृष्ठ 456
50. निर्मला एन उपाध्याय : पृष्ठ 179
51. रा.रा. अभिलेखागार बीकानेर, हकीकत खाता रजिस्टर नंबर 42, पृष्ठ 70
52. रा.रा.अ.बी.सनद बही नबर 54, पृष्ठ 14, सनद बही नंबर 98, पृष्ठ 276
53. रा.रा.अ.बी., हकीकत बही नंबर 55, पृष्ठ 306
54. तवारीख जागीरदारा राज मारवाड-1893, पृष्ठ-2 गिनायत सरदारों के 280 ठिकाणै है और ये 29 कौम के राजपूत है जिनकी जागीर में 536 गांव रू. 68,34,561 की जमा है।
55. रा.रा.अ. बीकानेर-हथबही
56. तवारीख जागीरदारां राज मारवाड, पृ. 3, 5
57. तवारीख जागीरदारा राज मारवाड पृ. 5 डॉ. महेन्द्र सिंह नागर
58. मारवाड़ के राजवंश की सांस्कृतिक परम्पराएं भाग - 1, पृष्ठ 166-168, महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश
59. वहीं. पृष्ठ 166-168, तवारीख जागीरदारों राज मारवाड- पृष्ठ 5
60. डॉ. निर्मला उपाध्याय - दी एड ऑफ जोधपुर स्टेट पृ. 160
61. रा.रा. अ.बी. - हकीकत बही नंबर 48, पृष्ठ - 166
62. पं. वि. रेऊ मारवाड का इतिहास, भाग द्वितीय पृष्ठ 632, तवारीख जागीरदारा राज. मारवाड, पृष्ठ - 4
63. रा.रा.अ. बीकानेर - हकीकत बही-40, पृष्ठ 52 एवं हकीकत बही नंबर 54, पृष्ठ 95
64. तवारीख जागीरदारां राज मारवाड़ - पृ. 4, व.वि.रेऊ, मारवाड का इतिहास, भाग 2 पृष्ठ 632
65. राजस्थान राज्य अभिलेखागार जोधपुर-हकीकत बही नंबर 29 पृष्ठ 5, हकीकत बही नंबर - 43, पृष्ठ 160-161
66. तवारीख जागीरदारां राज मारवाड-1893, पृष्ठ 4
67. सियारत हाथ के कुरब, और दोवडी ताजीम 12 सरदारों को ओर हाथ का कुरब 74 को, बाहं पसाव का कुरब 74 को, और सिर्फ ताजीम 13 जागीरदारों को इनायत थी। तवारीख जागीरदारा राज. मारवाड पृष्ठ 4-5
डॉ. विक्रमसिंह : मध्यकालीन राजस्थान में ठिकाणा व्यवस्था, पृष्ठ 122
68. रा.रा.अ.बी. हकीकत बही नंबर 41, पृष्ठ 386, हकीकत बही नंबर 42 पृष्ठ 153, हकीकत खाता बही नंबर 3, पृष्ठ-1 हकीकत बहीं नबर 59, पृष्ठ 24
69 प.वि.रेऊ भाग 2 पृष्ठ 633
70. डॉ. प्रेम एंग्रिस : मारवाड का सामाजिक और आर्थिक जीवन, पृष्ठ 51
71. रा.रा.अ.बी. खास रूक्का परवाना बही नंबर 22, पृष्ठ 18-100 म्हे तो सरदारों री सलाह सिवाय एक कदम न दिवो न फेर देसो
72. पोकरण री तवारीख पृष्ठ - 54
73. डॉ. आर. पी. व्यासय, रोल ऑफ नॉबीलिटी, पृष्ठ 176-78, तवारीख जागीरदारा राज मारवाड, पृष्ठ -5
74. रा.रा. अ.बी. खास रूक्का परवाना बही नंबर 4, पृष्ठ-16, नंबर 8 पृष्ठ 44
75. रा.रा..अ.बी.-हकीकत बही नंबर 44, पृष्ठ 324
76. रा.रा.अ.बी. हकीकत बही नंबर 40, पृष्ठ 47, हकीकत खाता बही नंबर 3, पृष्ठ 1
77. रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 59, पृष्ठ 24
78. रा.रा.अ. जोधपुर खांपवर बेतलबी रो खातो क्र-2476, पृष्ठ 21 बही ऑफ खास रूक्का परवाना, खास रूक्का क्र.2575, पृष्ठ संख्या अंकित नहीं है। (सं. 1892)
79. रा.रा.अ. जोधपुर कैफियत रूक्का बही (सं 1941) क्र 250-251, पृष्ठ संख्या अंकित नहीं है।
80. रा.रा.अ. बीकानेर-हकीकत बही नंबर 56-57
81. डॉ. विक्रमसिंह भाटी : मध्यकालीन राज में ठिकाना, पृष्ठ 161
82. डॉ. आर.पी व्यास - रोल ऑफ नॉबीलिटी इन मारवाड़, पृ.170
83. रा.रा.अ.बी. बीकानेर हकीकत बही नंबर 49, पृष्ठ 142,
84 रा.रा.अ. जोधपुर दी जाल एण्ड प्रिंसिपल आफ सक्सेशन द जागीर लैण्डस इन मारवाड क्रमांक - 534, पृष्ठ 1,2
85. वाल्टर गजेटियर ऑफ मारवाड, पृष्ठ 85
डॉ. आर.पी. व्यास मारवाड में सामंत प्रथा-एक अध्ययन परम्परा भाग् 49-50, पृष्ठ-82
86. रामकरण आसोपा मारवाड का मूल इतिहास-पृ. 260, रामश्याम प्रेस, जोधपुर 1965
87. डॉ. महेन्द्र सिंह नगर - मारवाड के राजवंश की सांस्कृतिक परम्पराएं भाग प्रथम पृष्ठ 174
88. डॉ विक्रम सिंह भाटी-मध्यकालीन राज. में ठिकाणा व्य. पृष्ठ 258
89. वहीं पृष्ठ 162, रा.रा.अ. जोधपुर सनद बही क्र. 2483, पृष्ठ 21-22
90. डॉ. आर.पी व्यास - रोल ऑफ नॉबीलिटी इन मारवाड़, पृ.193
91. वहीं पृष्ठ 190-191
92. डॉ. आर.पी व्यास - रोल ऑफ नॉबीलिटी इन मारवाड़, पृ.179
9़3. डॉ. आर.पी व्यास - उŸार मध्यकाल में सामंतवाद, राज. भारती भाग् प्रथम पृष्ठ 181
94. महेन्द्र सिंह नगर-मारवाड राजवंश की सांस्कृतिक परम्पराएं, भाग द्वितीय पृष्ठ - 458
9़5. डॉ. आर.पी व्यास - रोल ऑफ नॉबीलिटी इन मारवाड़, पृ.185
रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 44, पृष्ठ 33,
हकीकत बही 40, पृष्ठ 41,
डॉ. महेन्द्र सिंह नगर-मारवाड राजवंश की सांस्कृतिक परम्पराएं, भाग द्वितीय पृष्ठ - 458
96. रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 39, पृष्ठ 69
97. रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 43, पृष्ठ 185-186
98. रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 49, पृष्ठ 10
99. रा.राअ.बी.-हकीकत बही रजिस्टर नंबर 67, पृष्ठ 423
100. रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 62, पृष्ठ 388
101. रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 56, पृष्ठ 119
102. पं.वि.एन.रेऊ, मारवाड का इतिहास भाग द्वितीय- पृष्ठ - 627-28
103. रा.राअ.बी.-सनद बही नंबर 59, पृष्ठ 19
104. रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 42, पृष्ठ 248
105. मुंशी हरदयाल - तवारीख. ए. जागीरदारान राज. मारवाड पृष्ठ 7
106. डॉ. निर्मला उपाध्याय - पृष्ठ 173
107. पा.वि.एन.रेऊ, मारवाड का इतिहास भाग द्वितीय पृष्ठ 629
108. डॉ. आर. पी. व्यास रोल ऑफ नोबीलिटी इन मारवाड पृष्ठ 186
109. वही पृष्ठ 179-180 रा.रा.अ.बी. हकीकत बही, नंबर 39, पृष्ठ 553
110. रा.रा.अ.बी. : हकीकत बही 48. पृष्ठ 166
111. डॉ. निर्मला एन उपाध्याय, पृष्ठ 173
112. रा.रा.अ.बी. हकीकत बही नंबर 43. पृष्ठ 223
113. डॉ. प्रेम ऐग्रिस : मारवाड का सामाजिक व आर्थिक जीवन पृष्ठ 147
114. डॉ विक्रम सिंह भाटी- मध्यकालीन राजस्थान में ठिकाणा व्यवस्था, पृष्ठ 164
115. पी.आर.शाह - राज. मारवाड ड्यूरिंग ब्रिटिश मैरामाउण्टेसी पृष्ठ-61
116. डॉ. विक्रम सिंह भाटी-मध्यकालीन राजस्थान में ठिकाणा व्यवस्था पृष्ठ - 55 से 63
116(अ). 1884 ई में सियारत शब्द मिसल के स्थान पर प्रयोग में लाया जाने लगा। कुल 12 थें।
117. (अ) (ब) बगडी व खींवसर ठाकुर के महाराज तख्तसिंह से विवाद होने पर इन्हें 12 सिरायतों में स्थान नहीं दिया। 1884 ई. में सियारत शब्द मिसल के स्थान पर प्रयोग में लाया जाने लगा। महाराज जसवंत सिंह द्वितीय के समय जब नई सूची बनाई जा रही थी तब बगडी ठाकुर के बार-बार बुलाने पर वह नही आया तो उसका नाम सूची से हटा दिया गया- डॉ. महेन्द्र सिंह नागर, मारवाड राजवंश की परम्पराएं - पृष्ठ 167.
1. मुंहता नैणसी-मारवाड़ परगना री विगत, भाग - 2
2. प. विश्वेश्वर नाथ रेऊ - प्रोविन्शियल गजीटीयर्स ऑफ राजपूताना, पृ. 204-205
3. पोकरण- तहसील रिकॉर्ड - 2001
4. पोकरण तहसील रिकॉर्ड - 2001
5. रेऊ प्रोविन्शियल गजीटीयर्स ऑफ राजपूताना पृ. 204-05
6़. मुंशी हरदयाल तवारीख राज जागीरदारां, पृ. 76, जोधपुर स्टेट प्रेस-1893
7. पी.आर.शाह राज मारवाड़, ड्यूरिंग ब्रिटिश पैरामाउण्टेसी, पृ - 161, फुटनोट, शारदा पब्लिशिंग हाऊस, जोधपुर
रेऊ - प्रोविन्शियल गजीटीयर्स ऑफ राजपूताना, पृ. 204-205
8.
9. राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर (रा.अ.अ.,बी.)
हकीकत रजिस्टरा नंबर 69, पृ.11, खास रुक्का परवाना बही नंबर 4-6
10. पूर्व मध्य काल में इसका लोकप्रिय नाम जागीर था।
11. डॉ. विक्रम सिंह भाटी : मध्यकालीन राजस्थान में ठिकाणा व्यवस्था, पृ. 11
12. डॉ. नारायण सिंह भाटी (संपादन), मुहता नैणसी री लिखी मारवाड रा परगना री विगत, भाग - 2, पृष्ठ 298
13. डॉ. हुकुमसिंह - राजस्थान के ठिकाणों व घरानो की पुरालेखीय सामग्री, पृष्ठ संख्या 28-29, राजस्थान शोध संस्था चौपासनी, 1995
14. डॉ. हुकुमसिंह (संपादन) - मज्झमिका - मेवाड, रावल राणाजी री बात, अंक 17, प्रताप शोध प्रतिष्ठान उदयपुर वर्ष 1993
15. डॉ. विक्रम सिंह भाटी : मध्यकालीन राजस्थान में ठिकाणा व्यवस्था, पृ. 13, 14, 15
16. मारवाड रा परगना री विगत, भाग द्वितीय, पृ. 290, पंवार पुरुखा की ठकुराई
17. राजस्थान राज्य अभिलेखागार, खास रुक्का परवाना बही नंबर 2,
आर.पी व्यास - रोल ऑफ नाविलिटी इन मारवाड, बीकानेर, पृष्ठ - 8, (भूमिका), जैन ब्रदर्स, नई दिल्ली-1969
18. डॉ. प्रेम ऐंग्रिस - मारवाड का सामाजिक एवं आर्थिक जीवन, पृ. 45 ऊषा पब्लिसिंग हाऊस, जोधपुर, जयपुर - 1987
19. डॉ. विक्रमसिंह - मध्यकालीन राजस्थान में ठिकाणा व्यवस्था पृ 21 से 24
20. राजस्थान भारती, भाग-1 में डॉ. आर.पी. व्यास द्वारा प्रस्तुत लेख - उŸार मध्यकाल में सामन्तवाद पृ. 174 । रा.रा.अ.बी - हकीकत बही नंबर 18, पृ. 409, हकीकत बही नंबर 44, पृ. 418
21. वहीं. पृष्ठ 174
22. पी. आर. शाह : राज मारवाड ड्यूरिंग ब्रिटिश पौरामाउण्टेसी, पृ-1, शारदा पब्लिशिंग हाऊस, जोधपुर 1982
23. पण्डित विश्वेश्वर नाथ रेऊ - मारवड का इतिहास भाग - 1, पृष्ठ 78, महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश, जोधपुर-1999
24. डॉ. निर्मला एम उपाध्याय - दी एडमिस्ट्रशन ऑफ जोधपुर स्टेट (1800-1947 ई) पृ. 7 इण्टरनेशनल पब्लिशर्स, जोधपुर - 1973
25. वहीं. पृष्ठ 7
26. डॉ. आर.पी व्यास - रोल ऑफ नॉबीलिटी इन मारवाड़, पृ.8 जैन ब्रदर्स, नई दिल्ली 1969
जैम्स टॉड - जोधपुर राज्य का इतिहास - पृ. 221 में वर्णित है ‘‘महाराज’’ हम लोग अनेक सम्प्रदायों से है पर भिन्न भिन्न देहदारी होकर भी हमारा मस्तक एक ही है यदि कोई दूसरा मस्तक होता है तो उसको अपने अधीन में अर्पण करते - यूनिक ट्रेडर्स, 250, चौडा रास्ता, जोधपुर-1998
27. वहीं. पृष्ठ 8
28. डॉ आर. पी. व्यास - मारवाड में सामंती प्रथा, परम्परा पृ. 79
29. जेम्स टॉड - एनल्स एण्ड एण्टिक्विटीज ऑफ राजस्थान - भाग 1, पृ. - 127
30. रघुवीर सिंह, मनोहर सिंह - जोधपुर राज्य की ख्यात पृ - 70, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली एवं पंचशील प्रकाशन, जयपुर -1988
31. वहीं. पृष्ठ 59
32. डॉ. आर.पी व्यास - रोल ऑफ नॉबीलिटी इन मारवाड़, पृ.9 मारवाड की ख्यात भाग-1, पृष्ठ 41-51
33. पी. आर. शाह : राज मारवाड ड्यूरिंग ब्रिटिश पौरामाउण्टेसी, पृ-4, शारदा पब्लिशिंग हाऊस, जोधपुर 1982
रेऊ : मारवाड का इतिहास भाग, द्वितीय - 1839, जुलाई 28 से ए.जी.जी. ने महाराजा मानसिंह के असन्तुष्ट सरदारों से अजमेर दरबार में पूछा कि यदि अंग्रेंज मारवाड पर चढाई करे तो सरदार किसका पक्ष लेंगे। तब ठाकुर ने स्पष्ट कहा कि युद्ध होने पर वे स्वामीधर्म को निबाहने के लिए महाराजा का साथ देंगे। पृ.-432
34. डॉ. निर्मला एम उपाध्याय - दी एडमिस्ट्रशन ऑफ जोधपुर स्टेट (1800-1947 ई) पृ. 154
प. वि. रेऊ, मारवाड का इतिहास-भाग-1, पृष्ठ 182
रा.रा.अ.बी. हकीकत बही नंबर 43, पृ 185, हकीकत बही नंबर 38, पृष्ठ 327
35. पी. आर. शाह : राज मारवाड ड्यूरिंग ब्रिटिश पौरामाउण्टेसी, पृ-4,
डॉ. आर.पी व्यास - रोल ऑफ नॉबीलिटी इन मारवाड़, पृ.11
36. इर्स्किन : राजपूताना गजीटीयर्स, भाग द्वितीय, अ, पृ-58
37. पण्डित वि. रेऊ : मारवाड का इतिहास - भाग द्वितीय पृष्ठ - 629
38. वहीं. भाग-1, पृ. 377
39. पोकरण के ठाकुर सवाई सिंह ने महाराज मानिंसं की जगह महाराजा भीमसिंह के पुत्र धोकलसिंह को जोधपुर की गद्दी दिलाने का प्रयास किया, पोकरण की तवारीख, पृष्ठ 86
40. जेम्स टॉड कृत जोधपुर राज्य का इतिहास, पृ-249, (अनु.वं.सं. बलदेव प्रसाद मिश्र व ज्वाला प्रसाद मिश्र व राय मुंशी देवी प्रसाद -यूनिक ट्रेडर्स, चौडा रास्ता, जयपुर)
41. रा.रा.डन.बी. खरीता बही नंबर 12, पृष्ठ 355, खरीता बही नंबर 14, पृ. 48
42. डॉ. निर्मला एन. उपाध्याय - दी एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ जोधपुर स्टेट पृ. 23
43. वही पृ. 24, रेऊ मारवाड का इतिहास भाग द्वितीय पृष्ठ 422
44. पं. वि. रेऊ मारवाड का इतिहास भाग द्वितीय पृष्ठ 421
45. वही. पृष्ठ 420 जेम्स टॉड, जोधपुर राज्य का इतिहास, पृष्ठ 272
46. गौरी शंकर ओझा-जोधपुर राज्य का इतिहास भाग द्वितीय पृष्ठ 832 व्यास एण्ड सन्स, अजमेर - 1995
47. रा.रा. अ.बी. हकीकत खाता बही नंबर 12, पृ. 219 खरीता बही नंबर 12 पृष्ठ 346-347
48. रा.रा.अ.बी. हकीकत बही नंबर 13, पृष्ठ-13 व 207
49. रेऊ : मारवाड का इतिहास भाग द्वितीय पृष्ठ 456
50. निर्मला एन उपाध्याय : पृष्ठ 179
51. रा.रा. अभिलेखागार बीकानेर, हकीकत खाता रजिस्टर नंबर 42, पृष्ठ 70
52. रा.रा.अ.बी.सनद बही नबर 54, पृष्ठ 14, सनद बही नंबर 98, पृष्ठ 276
53. रा.रा.अ.बी., हकीकत बही नंबर 55, पृष्ठ 306
54. तवारीख जागीरदारा राज मारवाड-1893, पृष्ठ-2 गिनायत सरदारों के 280 ठिकाणै है और ये 29 कौम के राजपूत है जिनकी जागीर में 536 गांव रू. 68,34,561 की जमा है।
55. रा.रा.अ. बीकानेर-हथबही
56. तवारीख जागीरदारां राज मारवाड, पृ. 3, 5
57. तवारीख जागीरदारा राज मारवाड पृ. 5 डॉ. महेन्द्र सिंह नागर
58. मारवाड़ के राजवंश की सांस्कृतिक परम्पराएं भाग - 1, पृष्ठ 166-168, महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश
59. वहीं. पृष्ठ 166-168, तवारीख जागीरदारों राज मारवाड- पृष्ठ 5
60. डॉ. निर्मला उपाध्याय - दी एड ऑफ जोधपुर स्टेट पृ. 160
61. रा.रा. अ.बी. - हकीकत बही नंबर 48, पृष्ठ - 166
62. पं. वि. रेऊ मारवाड का इतिहास, भाग द्वितीय पृष्ठ 632, तवारीख जागीरदारा राज. मारवाड, पृष्ठ - 4
63. रा.रा.अ. बीकानेर - हकीकत बही-40, पृष्ठ 52 एवं हकीकत बही नंबर 54, पृष्ठ 95
64. तवारीख जागीरदारां राज मारवाड़ - पृ. 4, व.वि.रेऊ, मारवाड का इतिहास, भाग 2 पृष्ठ 632
65. राजस्थान राज्य अभिलेखागार जोधपुर-हकीकत बही नंबर 29 पृष्ठ 5, हकीकत बही नंबर - 43, पृष्ठ 160-161
66. तवारीख जागीरदारां राज मारवाड-1893, पृष्ठ 4
67. सियारत हाथ के कुरब, और दोवडी ताजीम 12 सरदारों को ओर हाथ का कुरब 74 को, बाहं पसाव का कुरब 74 को, और सिर्फ ताजीम 13 जागीरदारों को इनायत थी। तवारीख जागीरदारा राज. मारवाड पृष्ठ 4-5
डॉ. विक्रमसिंह : मध्यकालीन राजस्थान में ठिकाणा व्यवस्था, पृष्ठ 122
68. रा.रा.अ.बी. हकीकत बही नंबर 41, पृष्ठ 386, हकीकत बही नंबर 42 पृष्ठ 153, हकीकत खाता बही नंबर 3, पृष्ठ-1 हकीकत बहीं नबर 59, पृष्ठ 24
69 प.वि.रेऊ भाग 2 पृष्ठ 633
70. डॉ. प्रेम एंग्रिस : मारवाड का सामाजिक और आर्थिक जीवन, पृष्ठ 51
71. रा.रा.अ.बी. खास रूक्का परवाना बही नंबर 22, पृष्ठ 18-100 म्हे तो सरदारों री सलाह सिवाय एक कदम न दिवो न फेर देसो
72. पोकरण री तवारीख पृष्ठ - 54
73. डॉ. आर. पी. व्यासय, रोल ऑफ नॉबीलिटी, पृष्ठ 176-78, तवारीख जागीरदारा राज मारवाड, पृष्ठ -5
74. रा.रा. अ.बी. खास रूक्का परवाना बही नंबर 4, पृष्ठ-16, नंबर 8 पृष्ठ 44
75. रा.रा..अ.बी.-हकीकत बही नंबर 44, पृष्ठ 324
76. रा.रा.अ.बी. हकीकत बही नंबर 40, पृष्ठ 47, हकीकत खाता बही नंबर 3, पृष्ठ 1
77. रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 59, पृष्ठ 24
78. रा.रा.अ. जोधपुर खांपवर बेतलबी रो खातो क्र-2476, पृष्ठ 21 बही ऑफ खास रूक्का परवाना, खास रूक्का क्र.2575, पृष्ठ संख्या अंकित नहीं है। (सं. 1892)
79. रा.रा.अ. जोधपुर कैफियत रूक्का बही (सं 1941) क्र 250-251, पृष्ठ संख्या अंकित नहीं है।
80. रा.रा.अ. बीकानेर-हकीकत बही नंबर 56-57
81. डॉ. विक्रमसिंह भाटी : मध्यकालीन राज में ठिकाना, पृष्ठ 161
82. डॉ. आर.पी व्यास - रोल ऑफ नॉबीलिटी इन मारवाड़, पृ.170
83. रा.रा.अ.बी. बीकानेर हकीकत बही नंबर 49, पृष्ठ 142,
84 रा.रा.अ. जोधपुर दी जाल एण्ड प्रिंसिपल आफ सक्सेशन द जागीर लैण्डस इन मारवाड क्रमांक - 534, पृष्ठ 1,2
85. वाल्टर गजेटियर ऑफ मारवाड, पृष्ठ 85
डॉ. आर.पी. व्यास मारवाड में सामंत प्रथा-एक अध्ययन परम्परा भाग् 49-50, पृष्ठ-82
86. रामकरण आसोपा मारवाड का मूल इतिहास-पृ. 260, रामश्याम प्रेस, जोधपुर 1965
87. डॉ. महेन्द्र सिंह नगर - मारवाड के राजवंश की सांस्कृतिक परम्पराएं भाग प्रथम पृष्ठ 174
88. डॉ विक्रम सिंह भाटी-मध्यकालीन राज. में ठिकाणा व्य. पृष्ठ 258
89. वहीं पृष्ठ 162, रा.रा.अ. जोधपुर सनद बही क्र. 2483, पृष्ठ 21-22
90. डॉ. आर.पी व्यास - रोल ऑफ नॉबीलिटी इन मारवाड़, पृ.193
91. वहीं पृष्ठ 190-191
92. डॉ. आर.पी व्यास - रोल ऑफ नॉबीलिटी इन मारवाड़, पृ.179
9़3. डॉ. आर.पी व्यास - उŸार मध्यकाल में सामंतवाद, राज. भारती भाग् प्रथम पृष्ठ 181
94. महेन्द्र सिंह नगर-मारवाड राजवंश की सांस्कृतिक परम्पराएं, भाग द्वितीय पृष्ठ - 458
9़5. डॉ. आर.पी व्यास - रोल ऑफ नॉबीलिटी इन मारवाड़, पृ.185
रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 44, पृष्ठ 33,
हकीकत बही 40, पृष्ठ 41,
डॉ. महेन्द्र सिंह नगर-मारवाड राजवंश की सांस्कृतिक परम्पराएं, भाग द्वितीय पृष्ठ - 458
96. रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 39, पृष्ठ 69
97. रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 43, पृष्ठ 185-186
98. रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 49, पृष्ठ 10
99. रा.राअ.बी.-हकीकत बही रजिस्टर नंबर 67, पृष्ठ 423
100. रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 62, पृष्ठ 388
101. रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 56, पृष्ठ 119
102. पं.वि.एन.रेऊ, मारवाड का इतिहास भाग द्वितीय- पृष्ठ - 627-28
103. रा.राअ.बी.-सनद बही नंबर 59, पृष्ठ 19
104. रा.राअ.बी.-हकीकत बही नंबर 42, पृष्ठ 248
105. मुंशी हरदयाल - तवारीख. ए. जागीरदारान राज. मारवाड पृष्ठ 7
106. डॉ. निर्मला उपाध्याय - पृष्ठ 173
107. पा.वि.एन.रेऊ, मारवाड का इतिहास भाग द्वितीय पृष्ठ 629
108. डॉ. आर. पी. व्यास रोल ऑफ नोबीलिटी इन मारवाड पृष्ठ 186
109. वही पृष्ठ 179-180 रा.रा.अ.बी. हकीकत बही, नंबर 39, पृष्ठ 553
110. रा.रा.अ.बी. : हकीकत बही 48. पृष्ठ 166
111. डॉ. निर्मला एन उपाध्याय, पृष्ठ 173
112. रा.रा.अ.बी. हकीकत बही नंबर 43. पृष्ठ 223
113. डॉ. प्रेम ऐग्रिस : मारवाड का सामाजिक व आर्थिक जीवन पृष्ठ 147
114. डॉ विक्रम सिंह भाटी- मध्यकालीन राजस्थान में ठिकाणा व्यवस्था, पृष्ठ 164
115. पी.आर.शाह - राज. मारवाड ड्यूरिंग ब्रिटिश मैरामाउण्टेसी पृष्ठ-61
116. डॉ. विक्रम सिंह भाटी-मध्यकालीन राजस्थान में ठिकाणा व्यवस्था पृष्ठ - 55 से 63
116(अ). 1884 ई में सियारत शब्द मिसल के स्थान पर प्रयोग में लाया जाने लगा। कुल 12 थें।
117. (अ) (ब) बगडी व खींवसर ठाकुर के महाराज तख्तसिंह से विवाद होने पर इन्हें 12 सिरायतों में स्थान नहीं दिया। 1884 ई. में सियारत शब्द मिसल के स्थान पर प्रयोग में लाया जाने लगा। महाराज जसवंत सिंह द्वितीय के समय जब नई सूची बनाई जा रही थी तब बगडी ठाकुर के बार-बार बुलाने पर वह नही आया तो उसका नाम सूची से हटा दिया गया- डॉ. महेन्द्र सिंह नागर, मारवाड राजवंश की परम्पराएं - पृष्ठ 167.